Himachal schools admission fees
कोरोना काल के दो साल बाद नए सत्र में स्कूल फीस और स्टेशनरी महंगी होने से अभिभावकों पर दोहरी मार पड़ेगी। हिमाचल प्रदेश के ज्यादातर स्कूलों ने 10 से 20 फीसदी तक दाखिला फीस बढ़ा दी है। किताबों-कॉपियों के दाम भी 15 से 25 फीसदी तक बढ़ गए। स्कूल-वर्दी और जूते भी महंगे हो गए। जूतों पर टैक्स पांच से 12 फीसदी हो गया।
महंगाई से परेशान करीब 20 फीसदी अभिभावकों ने बच्चों को निजी स्कूलों से निकालकर सरकारी में दाखिला दिला दिया है। सामान्य वर्दी का जूता जो 650 में आता था, अब 800 का है। 1200 वाली वर्दी 1400 रुपये तक पहुंच गई है। स्टील बॉटल, स्कूल बैग, जुराबों में भी 10 से 20 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। मंडी जिले के अधिकांश स्कूलों में सबसे ज्यादा 20 फीसदी तक दाखिला फीस में बढ़ोतरी हुई है। अभिभावकों की मानें तो कॉपियों की कीमतों में दो तरीके से वृद्धि देखी जा रही है।
लोकल ब्रांड की कॉपियों के दाम बढ़ गए हैं। पेज संख्या कम हो गई है। 128 पेज की कॉपी 120 पेज की हो गई। कीमत 20 से 25 रुपये हो गई। ब्रांडेड कंपनियों की कॉपियों के दाम नहीं बढ़े, लेकिन पेज और साइज घटा दिए। नेरचौक स्थित मुख्य डीलर महाजन जरनल स्टोर के अभिलाष गुप्ता का कहना है कागजों की कीमतों में बढ़ोतरी होने के चलते कीमतों में इजाफा हुआ है या पेज कम हुए हैं।
शिमला जिले में वर्दी, किताबें-कॉपियां के दाम में 25 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। निजी स्कूल फीस में 5 से 10 फीसदी तक बढ़ाने की तैयारी है। बिलासपुर का डीएवी स्कूल प्रबंधन हर साल फीस में चार से पांच फीसदी की बढ़ोतरी करता है। कॉपी और किताबों के दामों में 10 से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। जिला हमीरपुर मेें स्टेशनरी की कीमतें 20 से 25 फीसदी बढ़ी हैं। स्कूल वर्दी के दाम भी 10 से 15 फीसदी बढ़े हैं।
दसवीं की किताबें-कॉपियां 5000 रुपये में मिल रहीं
निजी प्रकाशकों ने किताबों की कीमतें बढ़ाई हैं। पिछले साल नर्सरी से कक्षा तीन तक की किताबों-कापियों का सेट तीन हजार रुपये में पड़ता था। इस साल यह सेट 3500-3800 रुपये के आसपास है। पिछले साल कक्षा 4 व 5 की पुस्तकों का सेट 3600-3800 रुपये था। इस साल इसमें 15 फीसदी की वृद्धि हो गई है। छठी से आठवीं तक का 4000 था, अब 4500 में और नौवीं से दसवीं का सेट 4500 से सीधे 5000 तक पहुंच गया है।
हिमाचल में इस तरह बढ़ी स्कूल फीस
एक निजी स्कूल में दसवीं कक्षा की न्यू एडमिशन में पहले जहां अभिभावक को अप्रैल में मई-जून की फीस के साथ 14 हजार रुपये तक चुकाने पड़ रहे थे, इस सत्र में 16500 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं। दो माह की फीस जहां 5400 थी अब वही फीस 6200 कर दी गई है।