जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में बलिदान हुए सिरमौर जिला के विकास खंड राजगढ़ की पंचायत हाब्बन के उपरला पालू निवासी लांस नायक प्रवीण शर्मा (28) माता-पिता के इकलौते बेटे व दो बहनों के इकलौते भाई थे। परिवार में मातम पसरा है। जो आंखें बेटे के सिर पर सेहरा सजा देखना चाहती थीं, वह अब पथराई हुई हैं। प्रवीण के परिजनों ने सपना देखा था कि अक्तूबर माह में उनका बेटा सेहरा बांधकर जाएगा और दुल्हन घर लाएगा, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था।
प्रवीण जब भी छुट्टी पर घर आते तो परिवार उन्हें शादी के लिए कहता, लेकिन किसी न किसी बहाने से वह शादी से इनकार कर देते थे। वह हर बार कहते थे-अभी नहीं, बाद में करूंगा शादी। लेकिन इस बार जब वह जुलाई माह में छुट्टी पर घर आए तो माता-पिता ने उसका रिश्ता पक्का कर दिया था और अक्तूबर में शादी तय हुई थी। प्रवीण शर्मा व उसकी माता रेखा शर्मा, पिता राजेश शर्मा, दादी चंपा शर्मा और उसकी दो विवाहित बहनों पूजा व आरती ने विवाह की तैयारियां भी शुरू कर दी थीं।
इकलौते बेटे के विवाह को लेकर परिजनों ने जो सपने संजोए थे, वह काल के क्रूर पंजों ने चकनाचूर कर दिए। खुशियां आने से पहले ही घर, गांव व समूचे क्षेत्र में मातम पसर गया है। परिजन पार्थिव देह आने के इंतजार में टकटकी लगाए बैठा है। उधर, शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद सुरेश कश्यप ने प्रवीण शर्मा के बलिदान पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने शोकसंतप्त परिजनों से संवेदना जताई। वह सदन के चलते अभी दिल्ली में हैं, लेकिन वह जल्द ही शहीद के परिजनों से मिलकर उन्हें सांत्वना देंगे।
शादी से पहले देखा था घर का सपनालांस नायक प्रवीण ने सेना में भर्ती होने के बाद अपने पैतृक गांव में शानदार घर बनाने का सपना देखा था। उसे पूरा भी किया। घर बन जाने के बाद शादी का निर्णय लिया। वह जुलाई में घर आए थे, तब उनकी सगाई हो गई थी। जिस घर में दुल्हन लाने की खुशियां के सपने देखे गए थे, उस घर में उनकी पार्थिव देह तिरंगे में लिपटी आएगी, ऐसा किसी ने सोचा न था।