हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के तहसील जयसिंहपुर के विकास खंड लंबागांव (Lambagaon Jaisinghpur Kangra district Himachal) के एक गांव में सेहरा बांधकर आए दूल्हे को बिना दुल्हन के बैरंग लौटना पड़ा। बताया जा रहा है कि करीब एक साल पहले लड़की का रिश्ता दूर के दूसरे गांव में तय हुआ था।
जानकारी यह मिली है की रिश्ता तय होने पर लड़के वालों ने लड़के का बहुत बड़ा कारोबार होने की बात कही थी। इसी बीच लड़की वाले जब भी लड़के को देखने की बात करते तो लड़के वाले उसका बिजनेस के सिलसिले में बाहर होने की बात कह कर टाल देते। नतीजतन बरात पहुंचने तक लड़के वालों ने लड़की वालों को लड़का देखने ही नहीं दिया।
रिश्तेदारों और गांव वालों को हुआ शक
लड़की के घर बरात पहुंचने पर जब लड़के को नहाने के लिए कहा गया, तब भी लड़के के पक्ष वाले उसकी तबीयत ठीक नहीं होने की बात कहते टाममटोल करने लगे। इससे लड़की के रिश्तेदारों और गांव वालों को कुछ शक होने लगा। देखते ही देखते लड़की वालों को इस बात का एहसास हो गया कि लड़का न तो बोल पा रहा है और न ही ठीक से खड़ा होकर चल पा रहा है।
इस सारे घटनाक्रम को देखकर लड़की पक्ष को यकीन हो गया कि शादी के नाम पर उनके साथ धोखा हो रहा है। जब सारी बात का भेद शादी की रस्मों से पहले ही खुल गया तो लड़की वाले असमंजस में पड़ गए। इतने में जब लड़की को इस बात का पता चला तो उसने साहस दिखाते हुए शादी करने से इंकार कर दिया।
पंचायत सदस्यों को भी मौके पर बुलाया गया
लड़की के पिता सहित गांववासी और रिश्तेदार भी लड़की के निर्णय से सहमत हो गए। लड़के वालों को बरात वापस ले जाने के लिए कह दिया गया। थोड़ी बहुत बातचीत के बाद लड़के वाले भी बरात वापस ले जाने को सहमत हो गए। नतीजतन पंचायत सदस्यों को मौके पर बुलाया गया और उनके समझाने-बुझाने पर बरात बिना खाना खाए ही बिना दुल्हन के वापस लौट गई। लड़के के दिव्यांग होने पर लड़की सहित उसके परिजनों ने घर आई बरात को बिना दुल्हन के लौटा दिया।
संबंधित पंचायत के उपप्रधान ने इसके बारे में बताया कि वह स्वयं वार्ड सदस्य के साथ मौके पर गए थे। उन्होंने कहा कि अगर यह शादी हो जाती तो लड़की उम्रभर के लिए बड़ी मुसीबत में घिर जाती। लड़की के परिजनों की ओर से लिए गए इस साहसिक निर्णय की हर जगह सराहना हो रही है।