प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस सिद्धार्थ की पीठ ने एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण विषय पर अपना ऐतिहासिक निर्णय लिया है। उन्होंने कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप (live-in relationship) भारत में विवाह संस्था को नष्ट करने की योजनाबद्ध रणनीति है। उन्होंने कहा कि हर मौसम में पाटर्नर बदलना स्वस्थ्य समाज की पहचान नहीं है। उन्होंने कहा कि शादी और लिव इन रिलेशनशिप में वेबफाई को एक प्रगतिशील समाज के संकेत के रूप में पेश किया जा रहा है और देश के युवा इस ओर आकर्षित हो रहे हैं। शांता कुमार ने कहा भौतिकवाद और आधुनिकता के पागलपन में आज विश्व भर में लिव इन संबंधों और समलैंगिता को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और भारत के लोगों को इस मूर्खता का अंधानुकरण नहीं करना चाहिए। समलैंगिकता प्राकृतिक नहीं है, क्योंकि यह सृजन का कारण नहीं बन सकती। उन्होंने इलाहाबाद सर्वोच्च न्यायालय (Allahabad Supreme Court) के जस्टिस सिद्धार्थ को बधाई दी है और सरकार से आग्रह किया है कि इन दोनों खतरनाक बीमारियों को जल्दी से जल्दी रोकने की कोशिश की जाए। उन्होंने सभी नेताओं से निवेदन किया है कि ये दो बीमारियां हमारी व्यवस्थित मान्यता को नष्ट कर देंगी।