Monday, October 21, 2024
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दुखद : हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का निधन

हिमाचल प्रदेश के छह बार मुख्यमंत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे वीरभद्र सिंह का आज तड़के निधन हो गया है। जानकारी के अनुसार वीरभद्र का निधन सुबह 3.40 बजे हुआ। दोबारा कोरोना पॉजिटिव आने के बाद से वह शिमला के आईजीएमसी में उपचाराधीन थे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता के निधन से प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। वह करीब ढाई महीने से आईजीएमसी में दाखिल थे।

सोमवार को अचानक तबीयत खराब होने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर दाखिल कर दिया था। इसके बाद से वह बेहोशी की हालत में यहां पर उपचाराधीन थे, लेकिन गुरुवार सुबह उनकी मौत हो गई। वह 87 साल के थे। आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने उनकी मौत की पुष्टि की है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इन तीन दिनों के दौरान प्रदेश में कोई भी बड़े आयोजन  नहीं होंगे।

नड्डा, जयराम और कश्यप ने जताया शोक
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं संसद सुरेश कश्यप, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, प्रभारी अविनाश राय खन्ना, सह प्रभारी संजय टंडन, संगठन महामंत्री पवन राणा, महामंत्री त्रिलोक जम्वाल, राकेश जम्वाल एवं त्रिलोक कपूर ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है। नेताओं ने शोक संदेश में वीरभद्र सिंह की मृत्यु पर गहरा दुख एवं शोक प्रकट किया है।

वीरभद्र सिंह छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे। वीरभद्र सिंह यूपीए सरकार में भी केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रहे थे।उनके पास केंद्रीय इस्पात मंत्रालय रहा। इसके अलावा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय भी रहा। वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून, 1934 को बुशहर रियासत के राजा पदम सिंह के घर में हुआ। 
वीरभद्र सिंह 1983 से 1985 पहली बार, फिर 1985 से 1990 तक दूसरी बार, 1993 से 1998 में तीसरी बार, 1998 में कुछ दिन चौथी बार, फिर 2003 से 2007 पांचवीं बार और 2012 से 2017 छठी बार मुख्यमंत्री बने। लोकसभा के लिए वह पहली बार 1962 में चुने गए। 

उन्होंने पहली बार महासू लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। लोकसभा के लिए वीरभद्र सिंह 1962, 1967, 1971, 1980 और 2009 में चुने गए।वर्तमान में वीरभद्र सिंह अर्की से विधायक थे।  इंदिरा गांधी की सरकार में वीरभद्र सिंह दिसंबर 1976 से 1977 तक केंद्रीय पर्यटन एवं  नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री रहे। दूसरी बार भी वह इंदिरा सरकार में ही वर्ष 1982 से 1983 तक केंद्रीय उद्योग राज्यमंत्री रहे।

इसके बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकुर राम लाल की जगह मुख्यमंत्री की कमान संभाली। उसके बाद से राज्य की राजनीति में सक्रिय हुए। 

फिर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व की केंद्र की यूपीए सरकार में वीरभद्र सिंह 28 मई 2009 से लेकर 18 जनवरी 2011 तक कैबिनेट मंत्री रहे।

वीरभद्र सिंह परंपरागत सीट रोहड़ू से विधानसभा चुनाव लड़ते थे। अपने घर रामपुर की सीट के अनारक्षित होने के कारण वह कभी भी यहां से चुनाव नहीं लड़ पाए। पुनर्सीमांकन के चलते रोहड़ू सीट भी आरक्षित हुई तो 2012 में उन्होंने शिमला ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ा। 2017 में उन्होंने यह सीट बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए  छोड़ दी और खुद अर्की से चुनाव लड़े।

हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह के पार्थिव शरीर को चिकित्सा प्रक्रिया के लिए मेडिकल कॉलेज ले जाया गया है। बाद में उनके पार्थिव शरीर को शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से उनके आवास पर ले जाया जाएगा।

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