कांगड़ा जिला निजी डॉक्टर एसोसिएशन की बैठक में प्रदेश सरकार द्वारा हिमकेयर योजना के तहत निजी अस्पतालों को भुगतान न करने पर चर्चा हुई। समूह ने आरोप लगाया कि हिमाचल सरकार पर वर्तमान में कांगड़ा जिले के निजी अस्पतालों का लगभग 50 करोड़ रुपये बकाया है, जिसका भुगतान नहीं किया गया है, जबकि सरकार ने पिछले सात महीनों से देनदारी नहीं चुकाया है।
निजी अस्पतालों की अदायगी लंबित होने के कारण कई निजी अस्पतालों की आर्थिक स्थिति खराब हुई है तथा कुछ अस्पताल बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। संगठन के प्रैस सचिव डाॅॅ़. प्रेम भारद्वाज ने कहा कि बैठक में निर्णय लिया गया कि अब मात्र बीपीएल कार्ड होल्डर का ही हिम केयर योजना के अंतर्गत उपचार किया जाएगा। वही संगठन ने सरकार से आग्रह किया है कि यदि सरकार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो अन्य सभी वर्गों को हिम केयर योजना से हटा दिया जाए तथा मात्रा जरूरतमंद बीपीएल परिवारों को ही हिम केयर कार्ड जारी रखने के संबंध में अधिसूचना जारी की जाए।
डायलिसिस सैंटर बंद होने की कगार पर
संगठन ने कहा कि इस योजना के अंतर्गत डायलिसिस सैंटर को भी पेमेंट देने में सरकार असफल रही है जिससे डायलिसिस सैंटर बंद होने की कगार पर आ गए हैं। वह इन मशीनों का भारी भरकम ऋृण भरना भी कठिन हो रहा है। संगठन ने तर्क दिया कि सरकार निजी तथा सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की तुलना न करें क्योंकि निजी अस्पतालों में सभी कर्मचारी के वेतन से लेकर बिजली के बिल व अन्य खर्चो को स्वयं वहन करना पड़ता है तथा इसकी एवज में सरकार से किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिलती है ।
वही महंगे उपकरण भी बैंक से ऋण लेकर लगाए गए हैं। बैठक में विवेकानंद अस्पताल के प्रमुख डॉ. विमल दुबे, कर्ण अस्पताल के प्रमुख डॉ. कर्ण शर्मा, भारद्वाज मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डायरैक्टर डॉ. प्रेम भारद्वाज, केडी हॉस्पिटल के डॉ. विवेक, बाबा हॉस्पिटल के डॉ. नीना बाबा, एसएमआई हास्पिटल के डॉ. संदीप महाजन, अपेक्स हॉस्पिटल के डॉ. अजय पठानिया, सिटी हॉस्पिटल के डॉ. नीरज बर्मन, बरमानी हॉस्पिटल के डॉ. नरेश बरमानी, गर्ग हॉस्पिटल के डॉ. गर्ग सहित कई अन्य बैठक में उपस्थित रहे।