दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के शिक्षा मॉडल को हिमाचल की जय राम सरकार में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने खोखला करार दिया है. 23 अप्रैल को दिल्ली के सीएम हिमाचल के कांगड़ा आए थे और जय राम सरकार पर जमकर निशाना साधा था.
गोविंद ठाकुर ने केजरीवाल की भाषा पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि केजरीवाल ये भी नहीं जानते कि अपनी राजनीतिक विरोधी के खिलाफ अगर कुछ बोलना है तो शालीनता से अपनी बात रखनी चाहिए. जो दावे केजरीवाल ने किए हैं, उन्हें कैबिनेट मंत्री ने एबीसी करार दिया है. ए यानी एडवर्टिजमेंटस बी यानी ब्लेम और सी यानी कैंपेन.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि केजरीवाल के सभी दावे केवल मात्र प्रचार तक सीमित हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार केवल 1036 स्कूल चलाती है जबिक हिमाचल में सरकारी स्कूलों की संख्या 15 हजार से ज्यादा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के 80 प्रतिशत स्कूलों में हेडमास्टर या प्रिंसिपल नहीं है और 24000 से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं. साथ ही कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दाखिलों में 8 प्रतिशत की कमी आई है. दिल्ली में अध्यापकों को वेतन न दिए जाने पर दिल्ली सरकार को हाई कोर्ट ने फटकार भी लगाई है.
उन्होंने कहा कि NCPCR (बाल अधिकार आयोग) की टीम द्वारा दिल्ली के स्कूलों की वास्तविकता जांचने पर पाया गया कि एक स्कूल का भवन दिल्ली के मुख्यमन्त्री द्वारा अपने किसी मित्र के एनजीओ को दिया है. बच्चे बाहर पढ़ रहे हैं, एक आदर्श स्कूल बिना छत का है.
एक स्कूल में लड़कियों से इस कद्र भेदभाव किया जा रहा है कि उन्हें वोकेशनल सब्जेक्ट के नाम पर केवल सिलाई- कढाई की अनुमति है. आधे स्कूलों के पास भवन नहीं है और अधिकतर स्कूलों में शिफ्ट में कक्षाएं चलती हैं.
गोविंद ने कहा कि दिल्ली के स्कूलों को वर्ल्ड क्लास बताने वाले केजरीवाल के बेटे ने हाल ही में दिल्ली पब्लिक स्कूल नोएडा से बाहरवीं की परीक्षा दी, इतना ही नहीं, उनके डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने बेटे का एडमिशन गाज़ियाबाद के एमिटी स्कूल में करवाया है. गोविंद ठाकुर ने केजरीवाल के सभी दावों को सिरे से खारिज किया और केवल प्रचार करार दिया.