वित्तीय संकट से जूझ रही राज्य सरकार एक बार फिर 1100 करोड़ रुपये का कर्ज लेगी. यह कर्ज 600 और 500 करोड़ रुपये की किस्तों में लिया जाएगा. इस संबंध में राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है. चालू वित्तीय वर्ष 31 मार्च को समाप्त हो रहा है, इसलिए यह ऋण चालू वित्तीय वर्ष का अंतिम ऋण है। राज्य वित्त विभाग द्वारा सेंट्रल बैंक को प्रस्तुत ऋण आवेदन के अनुसार, ऋण 10-12 वर्षों में चुकाया जाना चाहिए।
2 अलग-अलग आवेदन सरकार की तरफ से किए गए हैं। इसमें 600 करोड़ रुपए के कर्ज के लिए जो आवेदन हुआ है उसको 12 वर्ष की अवधि में वर्ष 2036 में वापस करना होगा जबकि 500 करोड़ रुपए के लिए जो दूसरा आवेदन हुआ है उसे 10 वर्ष की अवधि में यानि मार्च 2034 में वापस लौटाना होगा।
हिमाचल सरकार वर्तमान में करीब 85 हजार करोड़ के कर्ज के बोझ तले दबी है। हिमाचल के प्रत्येक व्यक्ति पर करीब एक लाख रुपए से अधिक का कर्ज इस हिसाब से बनता है। 1100 करोड़ रुपए की कर्ज की रकम खजाने में आने पर सरकार 86 हजार करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज के बोझ तले होगी।
हिमाचल में डीए के भुगतान को ही 500 करोड़ चाहिए
सरकार ने कर्मचारियों को 4 फीसदी डीए के साथ-साथ अन्य देय वित्तीय लाभ का भुगतान करना है। अकेले डीए के भुगतान के लिए ही सरकार को 500 करोड़ की रकम चाहिए। इसके साथ ही एरियर के भुगतान के लिए अलग से राशि चाहिए। हालांकि फरवरी माह में सरकार ने कर्ज न लिया हो, मगर मुख्यमंत्री की घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए सरकार अब मार्च माह में कर्जा लेने जा रही है।