हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् (Himachal Government Sanskrit Shikshak Parishad) ने हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister of Himachal Pradesh Jai Ram Thakur) शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर (Education Minister Govind Singh Thakur) तथा प्रधान सचिव शिक्षा एवं निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा (Principal Secretary Education and Director Elementary Education) से आग्रह किया है कि शास्त्री एवं भाषाध्यापकों को टीजीटी संस्कृत एवं टीजीटी हिन्दी (TGT Sanskrit and TGT Hindi) पदनाम की अधिसूचना प्रक्रिया से हटकर न हो। बार-बार प्रक्रिया से हटकर कार्य करने से इसमें अधिक विलम्ब हो रहा है। अतः शिक्षा विभाग से अनुरोध है कि प्रक्रिया से हटकर इस कार्य में विलम्ब न किया जाए अपितु प्रक्रिया के अनुरूप ही टीजीटी पदनाम की अधिसूचना हो।
परिषद् के प्रदेशाध्यक्ष डॉ मनोज शैल, महासचिव अमित शर्मा, कोषाध्यक्ष श्री सोहनलाल, संरक्षक डॉ अरुण शर्मा, संयुक्त समिति शास्त्री एवं भाषाध्यापक के संयोजक नरेश कुमार एवं ज्ञानचन्द, परिषद के उपाध्यक्ष जंगछुब नेगी, अमरसेन, संगठन मंत्री योगेश अत्रि, प्रवक्ता शांता कुमार, आई टी सैल संयोजक अमनदीप शर्मा व सचिव विवेक शर्मा, शिमला के प्रधान दिग्विजयेन्द्र, बिलासपुर के राजेन्द्र शर्मा, सिरमौर के रामपाल अत्रि, ऊना के बलवीर, किन्नौर के बांगछेन नमज्ञल, कुल्लू के कुलदीप शर्मा, हमीरपुर के महासचिव रजनीश कुमार, तथा कांगड़ा के महासचिव राजकुमार, मण्डी के प्रधान राजेश कुमार एवं महासचिव बलवंत शर्मा, चंबा के महासचिव हेम सिंह ने जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा कि प्रदेश सरकार ने बजट सत्र में शास्त्री एवं भाषाध्यापकों की अस्सी के दशक से चली आ रही टीजीटी पदनाम की इस मांग को पूरा कर उनके वनवास को समाप्त करने की ऐतिहासिक घोषणा की है।
इसके बाद मन्त्रिमण्डल से भी सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति मिल चुकी है। लेकिन इस कार्य के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए थी उससे हटकर कार्य किया गया है जिस कारण बार-बार इस अधिसूचना में विलम्ब हो रहा है। अतः इसके लिए जो आधिकारिक व्यवस्था है तदनुसार ही कार्य किया जाए ताकि बार-बार फाइल वापिस न हो और न ही अपेक्षित विभागों से आपत्ति दर्ज हो।
पोस्ट कोड 813 की नियुक्ति पर भी शीघ्र हो फैसला
इसके साथ ही हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् ने यह भी निवेदन किया है कि शास्त्री पोस्ट कोड 813 के अन्तर्गत चयनित हुए अभ्यर्थियों को भी शीघ्र नियुक्ति दी जाये। इसके लिए भी सार्थक एवं प्रक्रियाबद्ध कदम उठाए जाएं ताकि उनकी नियुक्ति में आ रही बाधा दूर हो और अरसे से नियुक्ति के इन्तजार में बैठे चयनित अभ्यर्थियों को शीघ्र नियुक्ति मिले।
डॉ मनोज शैल
प्रदेशाध्यक्ष
हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद्