Friday, November 22, 2024
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सेब सीजन के रफ्तार पकड़ते ही पैकिंग ट्रे के दामों में फिर बढ़ोतरी हो गई है।

सेब सीजन के रफ्तार पकड़ते ही पैकिंग ट्रे के दामों में फिर बढ़ोतरी हो गई है। बीते माह 700 रुपये बंडल बिक रही ट्रे इस महीने 45 रुपये महंगी हो कर 745 रुपये पहुंच गई है। कई क्षेत्रों में पैकिंग ट्रे के दाम 780 रुपये प्रति बंडल तक चल रहे हैं। जुलाई माह के लिए इसी हफ्ते नए दाम तय होने हैं जिसमें और अधिक इजाफा होने का अनुमान है। बीते साल के मुकाबले इस साल पहले ही कार्टन के दाम करीब 18 फीसदी बढ़ चुके हैं। सेब की प्रति पेटी लागत बढ़ने से बागवान खासे परेशान हैं।

सेब पैकिंग के लिए बागवान अधिकतर मोहन फाइबर की ट्रे का इस्तेमाल करते हैं। मोहन फाइबर के पैकिंग ट्रे का दाम 745 रुपये पहुंच गया है। इस महीने दामों में और अधिक बढ़ोतरी होने का अनुमान है। मोहन फाइबर के एरिया मैनेजर का कहना है कि रद्दी की कीमत 18 से 34 रुपये किलो पहुंच गई है, रशिया यूक्रेन से रद्दी का आयात बंद हो गया है। चावल के छिलके और केमिकल की कीमतें दोगुनी हो गई है, ट्रांसपोर्टेशन भी महंगा हुआ है जिसके कारण ट्रे की कीमतें बढ़ी हैं।

एक पेटी में इस्तेमाल होती हैं छह ट्रे

सेब की एक पेटी में अमूमन छह ट्रे इस्तेमाल होती हैं। एक बंडल में 100 ट्रे होती हैं। कीमतें बढ़ने के बाद एक ट्रे सात से आठ रुपये में पड़ रही है। एक पेटी में 48 रुपये की सिर्फ ट्रे इस्तेमाल हो रही है। कार्टन और ट्रे की कीमतें बढ़ने से सेब की प्रति पेटी लागत में भारी इजाफा हुआ है।

बागवान बोले, सरकार ने भगवान भरोसे छोड़ा

संयुक्त किसान मंच के संयोजक संजय चौहान का कहना है कि निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार किसान बागवानों की अनदेखी कर रही है। कार्टन और ट्रे की कीमतों पर नियंत्रण खत्म कर बागवानों को निजी कंपनियों के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है। बखोल कोटखाई के बागवान मनोज चौहान का कहना है कि कार्टन और ट्रे की कीमतें अनियंत्रित तरीके से बढ़ रही हैं। सरकार ने बागवानों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। कार्टन और ट्रे की कीमतें नियंत्रित करने के लिए सरकार को तुरंत कड़े कदम उठाने चाहिए।

रोहड़ूू के बागवान राजन काल्टा का कहना है सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का बागवानों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया है। ट्रे की कीमतों में मनमानी बढ़ोतरी की जा रही है। जनता के चुने हुए प्रतिनिधि चुपचाप बैठे हैं। सरकार की अनदेखी से मंडियों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। छौहारा वैली एप्पल ग्रोवर्स सोसायटी के अध्यक्ष संजीव ठाकुर का कहना है कि निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार मूक दर्शक बनी हुई है। कार्टन और ट्रे के दामों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। 11 जुलाई को रोहड़ूू में रोष प्रदर्शन भी किया जा रहा है।

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