एक तरफ देश आजादी का 75वें साल country is celebrating the 75th year का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं कुल्लू जिले (Kullu district) की कई दुर्गम पंचायतों में आज भी सड़कें हैं न अस्पताल की सुविधा। सैंज घाटी की दुर्गम पंचायत गाड़ापारली का भी यही हाल है। शनिवार को यहां एक 65 साल की बुजुर्ग महिला को पेट में दर्द उठा। उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए लोगों ने एक कुर्सी को डंडों से बांधा और उस कुर्सी पर महिला को बिठाकर छह घंटे उठाकर 14 किलोमीटर पैदल चलकर मझाणा गांव से निहारनी स्थित सड़क तक पहुंचाया।
आजादी के 75 साल बाद भी पंचायत सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाई और न ही यहां कोई अस्पताल है। इस कारण हर दिन यहां के बाशिंदों को परेशानियों से जूझना पड़ता है। कितनी सरकारें आईं और गईं, लेकिन जनप्रतिनिधियों ने हर चुनाव में लोगों को सिर्फ आश्वासन ही दिए। शनिवार को गाड़ापारली पंचायत के मझाणा गांव की भक्ति देवी को अचानक पेट में इतना दर्द उठा कि उसे पैदल चलना भी मुश्किल हो गया।
परिजनों को उसे उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। ग्रामीणों की मदद से परिजनों ने उसे कुर्सी पर बैठाकर छह घंटे तक उठाकर सड़क तक पहुंचाया। सीधी उतराई वाले कच्चे और ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर करीब 14 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। यहां से महिला को गाड़ी से कुल्लू के एक निजी अस्पताल पहुंचाया, जहां उसका उपचार किया जा रहा है।
ग्रामीण तीर्थ राम, देवराज, जग्गू, पूर्णचंद, रामचंद्र, हीरालाल, मोतीराम, तीर्थराम, प्रकाश, डोलेराम, जीतराम ने बताया कि हाल ही में हुई बारिश के कारण पैदल रास्ता भी क्षतिग्रस्त हो चुका है। इस कारण मरीज को सड़क तक पहुंचाना चुनौतीपूर्ण रहा। उन्होंने कहा कि बार-बार मांग करने पर भी सड़क बनाना तो दूर रास्तों को पक्का तक नहीं किया जा रहा। वहीं, पंचायत प्रधान यमुना देवी ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। लोग मरीजों को ही नहीं, अपनी रोजमर्रा की वस्तुओं को भी पीठ पर उठाकर लाने को मजबूर हैं।