हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में कार्य करने वाली मिड-डे मील वर्करों ने सरकार ( Mid-day meal workers working in schools of Himachal ) के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. उन्होंने प्रदेश सरकार से संशोधित वेतनमान दिए जाने की मांग की है.
इसके साथ ही कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार मिड डे मील वर्करों को पूरे वर्ष का वेतन दिया जाए, ताकि वर्करों का घर भी चल सके. मिड डे मील वर्करों ने सीटू मंडी में अपनी कई समस्याओं को गिनाते हुए मांगें पूरा करने की बात कही है.
मंगलवार को मंडी के तारा चंद (Tara Chand Bhawan in Mandi) भवन में मिड डे मील वर्करों का चौथा सम्मेलन किया गया (Fourth conference of mid-day meal workers) , जिसमें वर्करों की समस्याओं व उनके समाधान पर चर्चा की गई. इस सम्मेलन की अध्यक्षता सीटू के जिला महासचिव राजेश शर्मा ने की.
सीटू के जिला सचिव व मिड डे मील वर्कर यूनियन मंडी के प्रभारी गुरदास वर्मा ने बताया कि प्रदेश की सरकार मिड डे मील वर्करों का शोषण कर रही है. एक तो उन्हें छुट्टीयां नहीं हैं, दुसरा इनका वेतन बहुत कम है और अब सरकार ने इन्हें अन्य कार्यों को करने का फरमान भी दे दिया है जो कि सही नहीं है.
मिड-डे मील वर्करों की परेशानियां बढ़ी, रखी कई मांगें
गुरदास वर्मा ने बताया कि महंगाई के दौर में मिड डे मील वर्करों को घर चलाना मुश्किल हो गया है और प्रदेश की भाजपा सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. मिड डे मील वर्करों ने वेतन बढ़ाने की मांग की है. कम वेतन और समय से न मिलने के कारण उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं. सम्मेलन में वर्करों ने मांग उठाई है कि उनकी समस्या का जल्द समाधान सरकार द्वारा किया जाए.