इस बक्त की बड़ी खबर आपको बता दे की Himachal Pradesh High Court ने pension से जुड़े मामले में state government को बड़ी राहत दी है। Himachal Pradesh government को अब 1.75 lakh pensioners को 350 करोड़ रुपये नहीं देने पड़ेंगे।
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Justice Sabina and Justice Sushil Kukreja की खंडपीठ ने हाईकोर्ट की एकलपीठ के निर्णय को निरस्त करते हुए यह निर्णय सुनाया।
खबर आपको बता दे की एकलपीठ ने एक जनवरी, 2006 से पेंशन बढ़ोतरी का लाभ देने के आदेश पारित किए थे। इससे राज्य सरकार पर 350 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ गया था। सरकार ने इस फैसले को अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी।
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दलील दी गई कि एकलपीठ की ओर से राज्य सरकार की 21 मई 2013 की अधिसूचना को रद्द किया जाना न्यायोचित नहीं है। पेंशन बढ़ोतरी से जुड़े मामले में राज्य सरकार ने 21 मई 2013 को अधिसूचना जारी की थी कि 1 जनवरी 2006 से बढ़ी हुई पेंशन की अदायगी पहली अप्रैल 2013 से की जाएगी।
खबर आपको बता दे की सरकार के इस निर्णय को पेंशनरों ने एकलपीठ के समक्ष चुनौती दी। एकलपीठ ने अधिसूचना रद्द करते हुए निर्णय दिया था कि पेंशन की अदायगी में सरकार तिथि का निर्धारण नहीं कर सकती।
वहीं सरकार की अपील पर खंडपीठ ने कहा कि वित्तीय बोझ के कारण सरकार पेंशन की अदायगी के लिए तिथि का निर्धारण कर सकती है।
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खंडपीठ ने शीर्ष अदालत के निर्णय का हवाला देते हुए अपने निर्णय में कहा कि सरकार पर वित्तीय बोझ होने के कारण पेंशन या वेतन वृद्धि देने के लिए ऐसे निर्णय लिए जा सकते हैं।
ऐसे निर्णयों को स्वेच्छाधारी या गैर सांविधानिक नहीं कहा जा सकता। अदालत ने राज्य सरकार की तीन अपीलों को स्वीकारते हुए पेंशनर अशोक कुमार और अन्य की याचिकाओं को खारिज कर दिया।