हिमाचल प्रदेश में पंपों (pumps in Himachal Pradesh) पर डीजल और पेट्रोल (diesel and petrol) का संकट बरकरार है। हिमाचल प्रदेश में वाहन मालिकों और उपभोक्ताओं को जरूरत के अनुसार पेट्रोल और डीजल नहीं मिल पा रहा है। थोक में तेल खरीदने वाले बड़े उपभोक्ताओं खासकर ठेकेदारों को 10 से 15 लीटर तेल ही मिल रहा है। यह स्थिति राजधानी शिमला में बनी हुई है। नेरवा, चौपाल और रोहड़ू जैसे दूर के क्षेत्रों में हालात ज्यादा नाजुक हैं।
हिमाचल के तेल पेट्रोल और डीजल पंप मालिक उच्चस्तरीय कमेटी गठित कर कुप्रबंधन में सुधार करने का मामला उठा रहे हैं। इस समस्या का तुरंत समाधान करने के लिए दबाव भी बना रहे हैं। इसके बाद भी उनकी अभी तक सुनवाई नहीं हो रही है। पंप मालिकों का कहना है कि हर माह 11 लाख लीटर की मांग है और तीन लाख लीटर तेल मिल रहा है।
हिमाचल प्रदेश में तीन सार्वजनिक उपक्रम की कंपनियों के पंपों के माध्यम से उपभोक्ताओं को डीजल और पेट्रोल की आपूर्ति की जा रही है। एक कंपनी पर तेल आपूर्ति का पूरा दबाव पड़ रहा है। अन्य कंपनियां मांग से काफी कम तेल उपलब्ध करवा रही हैं। पड़ोसी राज्य पंजाब और चंडीगढ़ में पेट्रोल और डीजल का कोई संकट नहीं है।
क्या कहते हैं पेट्रोल पंप मालिक
हिमाचल प्रदेश पेट्रोल और डीजल पंप मालिक संघ के अध्यक्ष सुकुमार सिंह कहते हैं कि तेल ढुलाई की व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। पड़ोसी राज्य पंजाब और चंडीगढ़ में पेट्रोल और डीजल की कोई कमी नहीं है। सरकार से कुप्रबंधन में सुधार की मांग की जाती रही है।
इस दिशा में उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर मामला सुलझाया जाए। कंपनी प्रबंधन पंप मालिकों की सुनवाई तुरंत नहीं करता है। वर्तमान में 40 फीसदी तेल कम मिल रहा है। इससे सरकार को भी टैक्स का नुकसान हो रहा है। वहीं, इस संबंध में कंपनी के डीजीएम जगतार सिंह से संपर्क करना चाहा लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो पाए।
शिमला के पेट्रोल पंपों (petrol pumps of Shimla) में पर्यटकों की भीड़ बढ़ने के कारण पंपों में तेल की मांग बढ़ गई थी। मंगलवार को कंपनी के सभी पंपों में पेट्रोल और डीजल उपयुक्त मात्रा में उपलब्ध रहा। तेल की कई अन्य गाड़ियां शिमला पहुंच रही हैं।
सिद्धार्थ, सेल्स अधिकारी, हिंदुस्तान पेट्रोलियम