✍️ विनोद भावुक
लेखक, पत्रकार, कवि एवं सम्पादक हितेन्द्र शर्मा वर्तमान में हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला के रोजाना प्रसारित होने वाले लोकप्रिय कार्यक्रम ‘साहित्य कला संवाद’ के संयोजक एवं सम्पादक के रूप में नित नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। छात्र जीवन से ही लेखन के क्षेत्र में सक्रिय रहे हितेन्द्र शर्मा ने बीसीए की पढ़ाई के दौरान अनेक साप्ताहिक और दैनिक समाचार पत्रों मे बतौर संवाददाता नियमित कार्य करना प्रारंभ किया। इस दौरान रचनात्मक लेखन के प्रति उनका विशेष झुकाव रहा। लगभग सात-आठ वर्षों तक निजी विद्यालयों एवं संस्थानों में अध्यापन कार्य करने बाद सूचना एवं तकनीकी क्षेत्र के विभिन्न संस्थानों के साथ निरंतर कार्य कर रहे हैं और अपने पैतृक व्यवसाय बागवानी से भी जुड़े हैं।
लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की साधना
शिमला की तहसील कुमारसैन स्थित किंगल गांव के साधारण किसान परिवार में पिता श्री चन्द्रमोहन व माता श्रीमती प्रमिला शर्मा के पुत्र रूप में 19 मई 1980 को जन्में हितेन्द्र शर्मा लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन एंव हिन्दी साहित्य के प्रति युवा रचनाकारों, विद्यार्थियों और महिलाओं को प्रोत्साहित करने, साहित्यिक एंव सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा लुप्त होती लोक संस्कृति को सहेजने के लिए प्रयासरत हैं। उनके पिता सामाजिक सरोकारों के प्रति काफी सजग थे, शायद अपने इसी गुण के कारण ही वे पंचायत प्रधान भी रहे। हालांकि माता-पिता का साया अब हितेन्द्र शर्मा के सिर पर नहीं है, लेकिन सामाजिक सरोकारों के प्रति सजगता उन्हें अपने पिता से विरासत के रूप में प्राप्त हुई।
भाषा, कला एवं संस्कृति अकादमी के सदस्य
वर्तमान में हितेन्द्र शर्मा हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला के सदस्य भी मनोनीत हुए हैं। हिमाचली लोक कला, साहित्य व संस्कृति का पोषण एवं प्रचार-प्रसार कर रहे हितेन्द्र शर्मा समसामयिक सरोकारों के प्रति जनजागरण का काम भी बखूबी कर रहे हैं। समाजसेवी के रूप में विभिन्न समाजिक संगठनों से भी जुड़े हैं। इनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व में उनके माता-पिता की झलक साफ दिखायी देती है।
हितेन्द्र शर्मा ने अपनी स्वर्गवासी माँ के चरणों में समर्पित अपनी कविता और काव्य संग्रह ‘‘माँ-जीना सिखा दिया’’ से ही साहित्य जगत में कदम रखा था। हितेन्द्र शर्मा की काव्य रचनाएं अम्मा कहती थी, साहित्य समर्पण, काव्य संरचना एवं साहित्यनामा जैसे विभिन्न साझा काव्य संकलनों में प्रकाशित हुई है। हितेन्द्र शर्मा की रचनाओं का काव्य पाठ आकाशवाणी शिमला से भी प्रसारित हो चुका है। विभिन्न दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों गिरिराज, हिमप्रस्थ, सोमसी सहित विभिन्न प्रतिष्ठित साप्ताहिक एंव मासिक पत्र-पत्रिकाओं एंव अंतर्जाल में नियमित रुप से हितेन्द्र शर्मा की रचनाएँ और आलेख प्रकाशित होते रहते हैं।
साहित्य कला संवाद के 600 एपिसोड का रिकॉर्ड
साहित्य सृजन में रत हितेन्द्र शर्मा अब तक साहित्य कला संवाद के 600 एपिसोड पूरे कर चुके हैं। इसके साथ ही उनके सैकड़ों लेख व कविताएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। वे अब तक विभिन्न विषयों पर लगभग 100 ये अधिक डाक्यूमेंटरी बना चुके हैं। हितेन्द्र शर्मा पहाड़ी बोली, संस्कार गीत, विवाह गीत, पहाड़ी लोकगीत, पारम्परिक गीत, आंचडी, जति आदि लुप्त होती पहाड़ी लोक संस्कृति को भी सहेजने का न केवल सराहनीय कार्य कर रहे हैं, बल्कि लोक साहित्य को गांव के अंतिम मुंडेर तक पहुंचाने तथा आने वाली पीढ़ी तक लोक साहित्य का यह अनमोल खजाना सरंक्षित रखने के उद्देश्य से कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
हितेन्द्र शर्मा अपने गृह क्षेत्र कुमारसैन में वर्ष 2018 में मंथन साहित्य मंच की नींव रखने के साथ ही हिमाचल प्रदेश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों, स्थानीय लोगों व विद्यार्थियों के साथ मिलकर कई भव्य एवं सफल साहित्यिक आयोजन कर चुके हैं और अपनी इसी साधना में अनवरत लगे हुए हैं। उन्होंने वर्ष 2019 में हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी, हिमवाणी संस्था शिमला के सहयोग से सांस्कृतिक एंव साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित कर कवि सम्मेलन सहित लोक संस्कृति, लघुकथाओं तथा वैचारिक आदान-प्रदान का एक अद्भुत मंच तैयार किया था। हितेन्द्र शर्मा स्वच्छ भारत अभियान के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न कार्यक्रम तथा नशा निवारण एंव जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं।
हितेन्द्र शर्मा का कहना है कि साहित्य कला संवाद कार्यक्रम की शुरुआत मेरे जीवन का एक बेहतरीन अनुभव रहा। लॉकडाउन के दौरान हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी के सचिव डॉ. कर्म सिंह के समक्ष मैंने एक ऑनलाइन कार्यक्रम का प्रस्ताव रखा। उन्होंने गम्भीरता से मेरी बात को सुना और पूरी दिलचस्पी दिखाते हुए कार्यक्रम से सम्बंधित सभी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान सरकार द्वारा चौथे चरण का लॉकडाउन 18 से 31 मई 2020 तक बढ़ा दिया गया। अकादमी सचिव का मुझे फोन आया, उन्होंने कहा यदि सम्भव हो तो आप ‘साहित्य कला संवाद’ शीर्षक से अकादमी के कार्यक्रम का संचालन ऑनलाइन कर सकते हैं।
फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल की शुरुआत
कोरोना काल ने वास्तव में हमें एक अवसर भी प्रदान किया, हमने चुनौतियों को अवसर में बदलने के लिए सोशल मीडिया का सदुपयोग किया। हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी के नाम से फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल का निर्माण किया गया, कार्यक्रम के प्रसारण का माध्यम तैयार करने के बाद कार्यक्रम की रूपरेखा, प्रसारण का समय, कार्यक्रम का नियंत्रण, कला एवं साहित्य प्रेमी दर्शकों तक पहुंचने की रणनीति को हमनें मात्र दस-बारह घंटों के भीतर तय किया। सकारात्मक ऊर्जा और पूर्ण विश्वास के साथ साहित्य कला संवाद कार्यक्रम का आगाज़ रविवार, 24 मई 2020 को शाम 7:00 बजे किया गया। फेसबुक लाईव के माध्यम से अकादमी का यह प्रथम प्रयास बेहद सफल रहा।
हितेन्द्र शर्मा का कहना है कि कला, साहित्य, लोक संस्कृति से जुड़े तमाम लोगों सहित युवाओं का हमें विशेष सहयोग निरन्तर प्राप्त होता रहा है। हमारे प्रयासों को दिन-प्रतिदिन मिलती सफलता को देखते हुए यह कार्यक्रम आगामी अनेक महीनों और वर्षों की रूपरेखा पल-पल में तैयार करता जा रहा है। साहित्य कला संवाद कार्यक्रम का सफ़र बेहद रोचक एवं ज्ञानवर्धक है। कला, संस्कृति, साहित्य, दर्शन, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय समसामयिक विषयों एंव अनेकों समाजिक पहलुओं को छूते हुए यह सिलसिला निरन्तर अपनी आगामी उपलब्धियों की ओर बढ़ता चला जा रहा है।
कई हस्तियों के साथ संवाद के अवसर
माननीय शिक्षा, भाषा संस्कृति मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर, माननीय तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, सांसद किशन कपूर, स्पेशल ओलंपिक की अध्यक्षा डॉ.मल्लिका नड्डा, भारतीय कबड्डी टीम के कप्तान रहे अजय ठाकुर, सुप्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर जैसे अनेक दिग्गजों ने हिमाचल अकादमी के इस मंच से अनेक विषयों पर अपने बहुमूल्य विचार रखें और अकादमी के कार्यक्रमों की सराहना करते हुए हमें अपना आशीष प्रदान किया।
साहित्य एवं पत्रकारिता का बड़ा चेहरा
स्वभाव से पत्रकार व साहित्यकार हितेन्द्र शर्मा को कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। श्री शर्मा में विलुप्त प्रायः होती लोक संस्कृति को बचाने की जो तड़प दिखायी देती है, वो विरले ही मिलती है। शायद इसी तड़प का ही नतीजा है कि आज वे कई संगठनों से जुड़कर समाज के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। साहित्य साधना की अपनी इसी धुन के चलते ही आज वे साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश का एक जाना-पहचाना नाम बन चुके हैं।